दोषो को अधो मार्ग से अथार्त गुदमार्ग से बाहर निकाल देना विरेचन कहलाता हे I विरेचन पित्तदोष के लिए विशेष क्रम हे। आधुनिक परिभाषा में विरेचन को Purgation Therapy कहा जा सकता है I बच्चो से लेकर वृद्ध तक, ऋतु के अनुसार, शरीरबल के अनुसार, अवस्था के अनुसार, आयुर्वेदिक वैध के मार्गदर्शन में आप विरेचन ले सकते है I अम्लपित्त (Acidity) जीर्णज्वर (Chronic Fever) तमक श्र्वास (Asthma) त्वचा विकार (Skin Disease) उच्चरक्तचाप (High BP) मोटापा (Obesity) आदि बीमारियों में विरेचन से फायदा होता है I आयुर्वेद के अनुसार स्वस्थ व्यक्ति को भी शरदऋतु में विरेचन कराना चाहिए I